कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटे किसान बन जाएगें मजदूर ~ जयंत चौधरी  (रालोद नेता)

कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटे किसान बन जाएगें मजदूर ~ जयंत चौधरी (रालोद नेता)

कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटे किसान बन जाएगें मजदूर ~ जयंत चौधरी  (रालोद नेता)

Mahendra Kudiya  (Journalist -The News Tv)


राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद जयंत चौधरी का कहना है कि संसद से पारित किए गए कृषि संबंधी 
विधेयको का खेती - किसानी पर दूरगामी प्रतिकूल असर पड़ेगा!
इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य  (एमएसपी) का प्रावधान न करना किसानो के लिए घातक साबित होगा! कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटी जोत के किसान आने वाले समय मे मजदूर बन जाएंगे!
जयंत चौधरी ने बुधवार को पत्रकारो से बातचीत मे कहा कि लोकतंत्र मे हर कानून की पृष्ठभूमि होती है! जिसके लिए कानून बनाया जाता है, उससे विचार - विमर्श होता है, इससे होने वाले लाभ-हानि पर चर्चा होती है! कृषि से जुड़े विधेयक पास करने मे इसका उल्टा हुआ है! कोरोना काल मे बिना किसी तात्कालिक जरूरत के, बिना किसानो कि मांग के केंद्र सरकार चुपचाप किसानो से जुड़े तीन अध्यादेश ले आती है और संसद मे बिना चर्चा के पारित करा लेती है! राज्यसभा मे बहुमत न होने का अंदेशा था इसलिए वोटिंग भी नही होने दी! किसान कह रहे है, हमे नए कानून नही चाहिए, लेकिन सरकार इन्हे लागू करने पर आमादा है! आंदोलन न हो पाए इसलिए कर्फ्यू जैसा माहौल बनाया जा रहा है!
जयंत ने कहा, एक बड़ा प्रावधान यह है कि यदि किसान और खरीददार के बीच विवाद होगा तो उसकी सुनवाई उपजिलाधिकारी  (एसडीएम) करेगा ! मौजूदा सिस्टम से सभी जाजानते है कि एसडीएम किसके हक मे फैसला देगा? लगता है सरकार ने दो - चार बड़े कॉर्पोरेट घरानो को लाभ पहुंचाने के लिए विधेयक में प्रावधान कराए है!

शहंशाह का मूड था, कानून बना दिया

जयंत ने कहा लगता है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर इन विधेयेको को लागू करने का अनैतिक दबाव था जिसे कृषि सुधार का नाम दिया जा रहा है!
शहंशाह का मूड था इसलिए कानून का एलान कर दिया ! कृषि राज्य का विषय है! एग्रीकल्चर प्रोड्यूम मार्केटिंग कमेटी  (एपीएमसी) एक्ट राज्य का है, केन्द्र इसमे दखल दे रहा है! इसमे कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है!

एमएसपी की कानूनी गांरटी जरूरी

रालोद नेता ने कहा कि किसान मंडी के भीतर बेचेगा तो मंडी शुल्क लगेगा! मंडी के बाहर बेचने पर शुल्क नही लगेगा! मंडिया खत्म होती चली जाएगी! ऐसे मे यदि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य  (एमएसपी) की गारंटी नही होती तो उसके लिए घातक परिणाम होंगे! नए विधेयक मे एमएसपी का जिक्र नही है! प्रधानमंत्री मौखिक तौर पर कह रहे है कि एमएसपी लागू रहेगा! उन्होंने 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य भुगतान समेत मौखिक तौर पर कितने वादे किए, क्या इनमे कोई पूरा हुआ? आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि उत्पादो को अलग कर दिया गया है! इससे कालाबाजारी बढेगी!


0 Response to "कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटे किसान बन जाएगें मजदूर ~ जयंत चौधरी (रालोद नेता)"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article